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खीरे के बिना श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा होती है अधूरी, क्या आपको पता है कि खीरे से ही क्यों करवाया जाता है प्रभु श्री कृष्ण का जन्म?

पूरे देश में कृष्ण जन्मोत्सव जन्माष्टमी की तैयारियाँ चल रही हैं। प्रभु श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था यही वजह है इस खास पर्व उपवास रखकर लोग रात्रि में पूजा कर प्रभु का जन्मदिन मनाते हैं। कहा जाता है कि खीरे के बिना कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा को अपूर्ण माना जाता है।

तो चलिए बताते हैं आपको कि खीरे का भगवान श्री कृष्ण और उनकी माता से क्या संबंध है और क्यों महत्वपूर्ण होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भक्तगण खीरे से ही मध्य रात्रि भगवान का जन्म करवाते हैं। जैसे बच्चे के जन्म के समय गर्भनाल को हटाकर गर्भाशय से अलग किया जाता है वैसे ही कृष्ण जन्मोत्सव के समय खीरे का डंठल काटकर प्रभु का जन्म करवाया जाता है।

कहा जाता है खीरा काटने का अर्थ माँ देवकी के गर्भ से लड्डू गोपाल जी को अलग करना माना जाता है। ऐसा भी कहते हैं कि इस खीरे को गर्भवती महिला को खिला दें तो प्रभु श्री कृष्ण की तरह संतान प्राप्ति होती है। ठीक 12 बजे खीरे को चांदी के सिक्के से काटकर प्रभु का जन्म करवाएं और फिर शंख बजाकर शंखनाद करके प्रभु के आगमन की ख़ुशी मनाये गीत बजाएं . गौरतलब है कि जन्म के बाद प्रभु को नहला धुलाकर उनका भोग लगाये और उसका वितरण करें.