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इन कपड़ों को पहनकर मंदिरों मे प्रवेश वर्जित, जानिए क्या है पूरा ड्रेसकोड!

आजकल राजस्थान मे मंदिरों मे ड्रेस कोड लागू होने की बात काफी सुर्खियों मे है। लोगों की जुबान पर बस एक ही बात है कि क्या ये सही है या नहीं?दरअसल काफी समय से इस बात पर बहस चल रही है।जिसके साथ-साथ कई मंदिरो के बाहर बोर्ड और बैनर्स भी लगा दिए गए हैं जिन पर मंदिरों मे प्रवेश के लिए ड्रेसकोड लिखा हुआ है।जिसमे बरमूडा, हाफ पैंट,नाइट सूट,कटी-फटी जीन्स, फ्रॉक ,मिनी -स्कर्ट,पहनकर प्रवेश करना बर्जित लिखा हुआ है।आइए इस मामले पर नजर डालते है।

राजस्थान के इन मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने कारण बताया जा रहा है कि कई ट्रस्टों का मानना है कि मंदिर कोई घूमने की जगह नहीं है। यहां आने वाले भक्तों को भारतीय संस्कृति से जुड़े ही कपड़े पहनकर आना चाहिए। मंदिर धर्म और आस्था से जड़े हुए है और कई लोगों की भावनाएं इससे जुड़ी हुई,जिसके चलते इन सभी चीजों का ध्यान रखते हुए लोगों को गरिमामय कपड़े पहनकर ही आना चाहिए।जैसे की लोग विदेशी संस्कृति को अपना रहें है उसी के चलते भारतीयों द्वारा अपनी संस्कृति को बनाए रखने के लिए ये कदम उठाया जा रहा है।

हालाँकि आपको बता दें कि पंडित प्रदीप मिश्रा का इस विवाद पर कहना है कि मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करना एक चाल है। युवा पीढ़ी को धीरे-धीरे धर्म से दूर किया जा रहा है। बेटा-बेटी धीरे-धीरे मंदिर जाना कम कर देंगे, सिर्फ बूढ़े-बूढ़े लोग ही मंदिर में दर्शन करने के लिए जाएंगे। जवान लड़के-लड़कियां मंदिर के बाहर से ही कह देंगे कि हम तो जींस पहने हैं, टी-शर्ट पहने हैं। मंदिर नहीं जा रहे।

मंदिरों की बात करें तो राजस्थान मे जयपुर के करीब 100 साल पुराना झाड़खंड महादेव मंदिर,भीलवाड़ा के कोटड़ी के श्री चारभुजा नाथ मंदिर,सिरोही जिले का सारणेश्वर महादेव मंदिर और अजमेर के अंबे माता मंदिर के बाहर ड्रेस कोड को लेकर बैनर और पोस्टर लगा दिये गए हैं।जिसमें लोगों से साफ-साफ आग्रह किया गया है कि केवल गरिमामय कपड़े पहनकर ही मन्दिर मे प्रेवश करें।